top of page

How to Work Hard for "Guaranteed Success" 3 Principle : Swami Vivekananda

खुद से जीतने वालों को मेरा सलाम !


एक छोटी सी बात आपको कितना कुछ सिखा सकती है कितना बड़ा lesson दे सकती है। swami Vivekananda जी की इस कहानी में देखिये। बरसात का मौसम था। एक आदमी धीरे-धीरे चलते हुए एक गाँव से कहीं दूसरी जगह जा रहा था। बीच सुनसान रास्ते में उसे एक घर मिला जिसके चारों ओर खेत बने हुए थे और एक वृद्ध किसान उस घर के बाहर बैठा हुआ था।


इस यात्री ने बूढ़े किसान से पूछा, “बाबा, लालनपुर कितना दूर है?” वृद्ध किसान चुप रहा। कुछ नहीं बोला। यात्री थका हुआ था, वहीं बैठ गया। किसान ने उसे पानी पिलाया, लेकिन कुछ बोला नहीं। यात्री ने फिर से पूछा, “क्यों बाबा, अगला गाँव कौन सा है? लगता है शाम को मैं गलत रास्ते पर चल पड़ा।” वृद्ध किसान चुप रहा।


उसने देखा कि इस यात्री के कपड़े फटे हैं, शरीर से बास आ रही है। लगता है की ये कोई बंजारा मजदूर है। लेकिन वृद्ध किसान अब भी चुप रहा। यात्री ने फिर पूछा, “क्यों बाबा, आगे रास्ता कहां को जाता है? मुझे लालनपुर जरूरी काम से जाना है।” वृद्ध किसान फिर चुप रहा। यात्री ने सोचा कोई गूंगा बहरा है, लेकिन कम से कम इशारे में तो बात कर सकता है। यात्री ने दोबारा पूछा, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।


आखिर में यात्री खिन्नाकर उठा। उसने कहा, “यहाँ सर फोड़ने से अच्छा है कि मैं आगे चलता हूँ।” यात्री ने समान उठाया और आगे बढ़ना शुरू किया, तो पीछे से वृद्ध किसान की आवाज आई, “लालनपुर बस 4 मील आगे है। गाँव के पहले एक नदी पड़ती है। वहां से नहा कर जाना, अपना स्वरूप बदल लेना, वरना गाँव में कोई रुकने नहीं देगा।”


यात्री अचम्भित रह गया। उसने सवाल किया, “तुमको समझ में आ रहा था मैं इतनी देर से क्या बोल रहा था? तुमने जवाब क्यों नहीं दिया?” किसान ने कहा, “कि जब तुम आए थे, तब तुम थके और परेशान लग रहे थे। तुम रास्ता तो पूछ रहे थे, लेकिन आगे जाने की तुम्हारी कोई इच्छा नहीं थी। लेकिन अब जब तुम पूरी तत्परता से आगे जाने के लिए खड़े हुए हो, तो रास्ता जानना तुम्हारा हक है।”

Swami Vivekananda ये कहानी अपने शिष्य को एक पत्र में सुनाते हैं। वो कहते हैं, “इस कहानी को याद रखना।


मदद उसी को मिलती है जो आगे बढ़ने को तत्पर है।”


तुम आगे बढ़ो, विश्वास रखो और बाकी सब हो कर रहेगा। Go to work, the rest will come. Swami ji के लिए ये अटल सत्य था, जो वो अपने शिष्यों को सिखाना चाह रहे थे। कई पत्रों में Swami ji इसी बात को अलग-अलग example से समझाते हैं।


 Complete Surrender


Swami ji सबसे पहले गीता जी के नौवें अध्याय के 22 वें श्लोक को refer करते हैं। कि जो इंसान किसी चीज पर भरोसा न करते हुए केवल मुझ पर भरोसा करते हैं, मेरे सहारे रहते हैं, मैं उन्हें हर मदद उपलब्ध कराता हूँ।" गीता जी में श्रीकृष्ण Complete Surrender, पूर्ण समर्पण की बात कर रहे हैं। वहीँ


Swami ji इस श्लोक से समझा रहे हैं कि जब आप उचित लक्ष्य के लिए खुद पर, यानी आत्म शक्ति, यानी आत्मा की शक्ति पर विश्वास करके आगे बढ़ते हो, तो लक्ष्य प्राप्ति के लिए अपने आप guidance, बुद्धि, resources सब उपलब्ध हो जाते हैं। और जो थककर बैठ जाता है, वो तो अपने शरीर और logic का भी उपयोग नहीं कर सकता।


This is no dream.


ये यथार्थ है, सच्चाई है। जैसे मां नवजात शिशु का निरंतर देखभाल करती है, उसकी हर जरूरत पूरा करती है, वैसे ही स्वयं पर सम्पूर्ण भरोसा करके जो आगे बढ़ता है, उसकी आत्मा, Source, Infinite Universe, आपको जो नाम अच्छा लगे, वो सारी बाधाएं मिटाना शुरू कर देती हैं। Law of Vibration की भाषा में कहें, तो Subconscious Mind तक सही सन्देश पहुंच चुका है। अब लक्ष्य पूरा हो कर रहेगा। इसलिए Swami ji अपने पत्रों में बार-बार लिखते हैं, "Go to Work The Rest will Come."


Character and Sacrifices


इसी बात को Swami ji Character and Sacrifice, दूसरे पत्र में Swami ji कहते हैं, "युगों के संघर्ष से चरित्र बनता है। जो भी कर रहे हो, उसे इतनी ईमानदारी से करो, जैसे तुम्हारा जीवन इसी पर निर्भर करता हो। फिर देखो सब कुछ सही हो कर रहेगा।"


Swami ji कहते हैं, "Be sincere to the very backbone." अपने (backbone, spine) यानी मेरुदंड तक, मतलब अपने अन्दर सबसे गहरे विचारों तक ईमानदार रहो कि “मैं बिना संशय किए पूरी शक्ति से प्रयत्नशील हूँ।” शरीर के एक-एक cell को पता होना चाहिए कि लक्ष्य हो कर रहेगा। मन के एक-एक विचार को पता होना चाहिए कि लक्ष्य पूरा हो कर रहेगा।


Swami जी कहते हैं, कि "अगर मैं ऐसे 100 लोग तैयार कर सकूं जो “Sincere to the Backbone” हैं, तो इस देश का भाग्य बदल जाएगा। गुलामी से ग्रस्त इस देश की चेतना में नई बिजली दौड़ेगी और मैं संतुष्टि से मर सकूंगा।"

इसलिए मेरे भाई आगे बढ़ो। कभी Failure और Success से, प्रशंसा और अपमान से विचलित मत हो। तत्परता से आगे बढ़ते चलो।


हार और जीत


जब Swami ji America में थे, तब वो एक पत्र में लिखते हैं, "कि यहाँ और भारत के newspapers में मेरे बारे में सब तरह की खबरें छप रही हैं। लोग कई तरह की बातें करते हैं कि मैं यहाँ लोगों का धर्म बदलने आया हूँ। लेकिन मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता।"


Swami ji गीता जी के आठवें अध्याय के 40वें श्लोक को refer करते हैं। "जो सत्य के मार्ग पर चलता है, जो सच में अपने ह्रदय और कर्मों से अपने लक्ष्य के लिए प्रयत्नशील रहता है, उसका कोई बुराई, कोई शैतान कुछ नहीं बिगाड़ सकता।" क्योंकि ये नियम है, Virtue is Indestructible. चरित्र सत्य है और सत्य अविनाशी है। जो सही दिशा में चलते हैं, उनका कुछ नहीं बिगाड़ा जा सकता। इसलिए मित्र तत्परता से बढ़ते चलो।


Summary


दोस्तों swami जी तीन बातें कह रहे हैं |


  1. मदद उसको मिलती है जो आगे बढ़ने को तत्पर है। आगे कैसे बढ़ना है? खुद पर सम्पूर्ण भरोसा होना चाहिए Swami ji कहते हैं जो आत्म शक्ति यानी आत्मा की शक्ति पर भरोसा करता है, उसके लिए हर प्रकार की मदद उपलब्ध है। उसके रास्ते आसान होने लगते हैं।

  2. "युगों के संघर्ष से चरित्र बनता है।" Be sincere to the very backbone.ऐसे काम करो जैसे तुम्हारी जान की बाजी लगी है। देखो फिर लक्ष्य मिल कर रहेगा।

  3. Virtue is Indestructible. चरित्र सत्य है और सत्य अविनाशी है। जो सही दिशा में चलते हैं, जो आत्मबल से जुड़े हैं, जिनका लक्ष्य उचित है, उनका कुछ नहीं बिगाड़ा जा सकता। इसलिए "Get to work. Rest Will Come."


हिम्मत ~ हरकत ~ होशियारी

हम जीतेंगे!

bottom of page