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The Responsibility is Always Yours : Indian Army Work Ethic


खुद से जीतने वालों को मेरा सलाम !


होशियारी से बड़ा गुण है ईमानदारी


Colonel Rajeev Bharwan कहते हैं, कि अगर मुझे अपनी unit में Honest और Intelligent candidate में से किसी एक को चुनना हो तो मैं हमेशा Honest इंसान को ही चुनूँगा। क्यों?? Col. Rajeev साहब कहते हैं कि “आप मेहनत करके ईमानदार आदमी को Intelligent बना सकते हो, लेकिन Intelligent (मक्कार) इंसान को आप ईमानदार बना पाओगे? इसकी कोई guarantee नहीं है।”


Honesty एक Character trait है जो इंसान अपने अंदर से पैदा करता है। मुश्किल आने पर अपनी duty, अपने कर्तव्य से पीछे न हटना, अपनी unit और अपनी team का साथ न छोड़ना, यही Honesty का असली मतलब है।


Col. Rajeev कहते हैं, Indian army का Honesty Level बहुत high है। आप PVC awardees की list देख लीजिए, 18-21 साल के कितने ही नौजवान हँसते-हँसते अपनी जान दे देते हैं। इन्होंने किसी paper पर sign नहीं किया होता कि मैं देश के लिए जान दूंगा, लेकिन अपने कर्तव्य के लिए, अपने mission के लिए ये इतने ईमानदार होते हैं कि वो कठिन से कठिन परिस्थिति में एक पल के लिए भी नहीं हिचकिचाते।


Indian army का जवान 10th और 12th pass होता है, लेकिन Army की training एक साधारण जवान को इतना Alert, इतना काबिल, इतना समझदार बना देती है कि वो कठिन से कठिन परिस्थिति में Tank, heavy artillery, machinery, Signal equipment और navigation operate कर सकता है।


Training के बाद जवान में इतना आत्मविश्वास और Self-Respect आ जाता है कि वो U.N peacekeeping forces में देश को represent कर सकता है। और वो ये सब इसलिए सीख पाता है क्योंकि वो ईमानदार है। वो कभी अपने effort में कमी नहीं छोड़ता, कभी अपने कर्तव्य से पीछे नहीं हटता।


इसलिए दोस्तों, खुद के अंदर झांको और देखो कि अपने अभ्यास, अपने काम, अपने कर्तव्य के प्रति आप कितने ईमानदार हो? क्या आप मुश्किल आने पर हथियार डालते हो? इस विश्लेषण के बाद अपने काम के लिए, अपने उद्देश्य के लिए ईमानदारी पैदा करो। हम नौजवानों के लिए दूसरी कहानी है।


Power of Purpose


Col. Rajeev Bharwan कहते हैं, कि मैं उन दिनों major था। मुझे Gurkha unit का नया-नया command मिला। उसी समय brigade में competition हुआ जिसमें brigade की 3 units ने हिस्सा लिया। उस Competition में हम सबसे पीछे 3rd आये, Unit में कुछ जवान ऐसे थे जो 30 km भी नहीं दौड़ सके।


Col. Rajeev कहते हैं कि हारने के बाद मैंने जवानों को इकट्ठा किया और zero से दोबारा team बनाई। Col. Rajeev कहते हैं कि जवान इस competition में हिस्सा नहीं लेना चाहते थे क्योंकि competition बहुत चुनौतीपूर्ण था। इसमें कठिन Physical Endurance Task जैसे 77 km Running, 9 km Swimming साथ में कठिन navigation और Tactical exam भी शामिल थे।



आपको केवल एक competition नहीं खेलना था बल्कि दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी Indian army के बहुत सारे Level पार करके finals तक पहुंचना था। Col. Rajeev कहते हैं कि जब हमने team बनाई, तब हमने नौजवानों को National competition जीतने का purpose नहीं दिया बल्कि


मैंने उनसे कहा India से जो team जीतती है वो London और Wales जाती है घूमने के लिए नहीं, जीतने वाली team वहां जाकर 150 teams के बीच भारत को represent करती है, और दुनिया की best special forces से मुकाबला करती है।


Col. Rajeev कहते हैं कि मैंने पूरी team को ये purpose दिया कि हमको London जाना है, देश का नाम रोशन करना है। मैंने ये भी अपनी unit में साफ कर दिया कि अगर कोई इससे छोटी बात करेगा, इससे छोटा कोई सपना देखेगा तो उसके लिए इस Team में कोई जगह नहीं होगी। हमारा Purpose एकदम स्पष्ट था, हमें London जाना है और देश का नाम रोशन करना है।



Col. Rajeev कहते हैं, फिर तैयारी शुरू हुई। Unit में Gurkha सैनिक थे जो कि non-swimmers होते हैं। हमने पहाड़ की ठंडी नहरों और तालाब में तैरना शुरू किया, फिर हम 35 kg battle load के साथ तैरने लगे। Col. कहते हैं कि हमने इस हद तक तैयारी की थी कि जहां competition में 2 दिन में 74 km दौड़ना होता है वहीं हम अपना endurance level इस हद तक बढ़ा चुके थे कि हमारे जवान 35 kg का वजन ले कर (2 दिन में) 100 km दौड़ जाते।


पूरी unit 8 महीने एक ही उद्देश्य को सामने रखते हुए तैयारी करती रही। हम final competition तक पहुंचे और हमने India की उस team को हराया जो पिछले 2 सालों से लगातार जीत रही थी।



Power of Purpose ➡️ Intensity


Colonel Rajeev Bharwan कहते हैं कि आपका Purpose बड़ा होना चाहिए और आपको हर दिन, हर काम में उससे जुड़ा होना चाहिए। Col. Rajeev कहते हैं कि मैं कई students और corporate में काम करने वाले लोगों से बात करता हूँ, मुझे उनकी भाषा से समझ आता है कि पढ़ाई उनके लिए बोझ है, काम उन पर थोपा गया है, उनके सिर पर exam की तलवार लटक रही है। उनके काम और practice से उनके भविष्य को क्या फायदा होगा, इसका अहसास उनको नहीं होता।


दोस्तों, अपनी सफलता की कीमत समझो। आपके किसी भी क्षेत्र में बेहतरीन होने से आपको या परिवार को ही नहीं, आपके देश, समाज और पूरी दुनिया को फायदा होता है। लोगों को प्रेरणा, मदद और दिशा मिलती है। आपकी आज की मेहनत कल कई गुना बड़ी होकर आपके सामने आएगी। जब आप इस तरह के किसी मानसिक vision से जुड़ेंगे, तभी हर दिन आप अपने काम में, अपने अभ्यास में intensity ला सकते हो। तीसरी कहानी है

जिम्मेदारी कभी दी नहीं जाती, जिम्मेदारी हमेशा ली जाती है।


Col. Rajeev Bharwan कहते हैं कि एक बार हमें ऐसी post पर भेजा गया जहाँ भगवान और शैतान भी कभी नहीं जाते। यह post ऐसी ऊंची पहाड़ी border पर थी जहां तापमान -38°C तक गिर जाता है। जब मैं अपनी unit के साथ वहां गया, तो एक समस्या थी। Post तक पहुंचने के लिए सिर्फ एक पुल था, यही एक पुल उस वीराने को बाकी दुनिया या किसी तरह की road से जोड़ता था।


जब मैंने पुल का detail inspection किया, तो गंभीर बात देखी कि पुल के खम्बे अन्दर से सड़ रहे हैं। Col. Rajeev Bharwan कहते हैं कि मैंने तत्काल higher authorities को सूचना पहुंचाई लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई क्योंकि सबका ध्यान पास वाले इलाके पर था जहाँ नेता जी visit कर रहे थे। फिर एक दिन पुल टूट ही गया। हमारी किस्मत थी कि दुर्घटना के समय कोई पुल पर नहीं था।


Col. कहते हैं कि आप जरा उस स्थिति के बारे में सोचिए जहाँ आधे लोग, गाड़ियाँ, यहाँ तक की खाना-पीना भी उफनती नदी के एक ओर था और हम नदी के दूसरे ओर फंसे थे। उस समय नदी इतनी तेज थी कि उसे किसी और तरह से पार नहीं किया जा सकता था। पुल गर्मियों में बन नहीं सकता था क्योंकि बर्फ के पिघलने से नदी का बहाव बहुत तेज हो जाता है और सर्दियों में भी नहीं बन सकता था क्योंकि cement को जमने के लिए कम से कम 18°C की गर्मी चाहिए।


Col. कहते हैं कि अब परेशानी ये थी कि वहां सिर्फ 2 मौसम थे, सर्दी या गर्मी। 2 दिन तक सब कुछ रुका रहा। फिर मैंने जिम्मेदारी ली और अपनी team को इकट्ठा किया। उनको पूरी स्थिति समझाई। मैंने उनसे कहा कि भगवान भी उसी की मदद करते हैं जो खुद की मदद करता है। "God helps those who help themselves."

हमको हर हाल में पुल बनाना था।


1000 लोगों की Workforce


Col. कहते हैं, आपके पास 1000 लोगों की workforce है, लेकिन अगर आपके पास जिम्मेदारी लेने का attitude नहीं है तो आप उन 1000 लोगों के साथ भी कुछ नहीं कर पाओगे। सबसे पहले हमने नदी का रास्ता मोड़ा। हम लोगों ने अपने हाथों से बड़े-बड़े पत्थर नदी में डाले जिससे पानी का स्तर कुछ कम हुआ। इसके बाद मैंने अपनी troops और officers से कहा कि कुछ भी करके मुझे cement और कच्चा माल चाहिए। मैं नहीं जानता आप कैसे लायेंगे? "Beg, borrow, steal" लेकिन मुझे ये सब सामान चाहिए।


48 घंटों के अन्दर सब सामान site पर था। हमारे पास कुछ CJ sheets थीं जिनसे temporary छत बनाते हैं। इन sheets की मदद से हमने नदी के बीचों-बीच एक कमरा बनाया। इस कमरे में आग जलाई और कमरे का तापमान -38°C से 18°C ले कर आए ताकि cement अच्छे से बंध जाए।


उस समय आग जलाए रखना भी आसान नहीं था क्योंकि पथरीले इलाके में लकड़ी भी नहीं मिल रही थी। हमको जो भी सामान मिला, हमने उससे 24 घंटे आग जलाए रखी जिससे पुल के pillars के लिए cement अच्छी तरह set हो सके। Col. Rajeev कहते हैं, हम लोग 30 दिन लगातार 24 घंटे काम करते रहे तब जाकर -38°C वाली ठण्ड में और उफनती नदी में पुल बनाया। बिना किसी बाहरी मदद के हमने असंभव काम को पूरा किया।

दोस्तों, इस कहानी से तीन बातें सीखिए:


  1. जिम्मेदारी हमेशा आपकी है। बाहर से कोई मदद करने नहीं आ रहा। जब आप जिम्मेदारी लेते हो, आप तभी बड़े बनते हो।

  2. बिना Action के इरादे की चिंगारी बहुत थोड़ी देर जीवित रहती है। Plan बनाओ और कूद पड़ो। शुरुआत में रुक जाओगे तो doubt होने लगेगा। जरूरत पड़ेगी तो Plan सुधारेंगे मदद लेंगे। लेकिन Plan बनाओ और तत्काल शुरू करो। जब भी आप शिथिलता छोड़ कर चल पड़ते हो तो बहुत साहस और मानसिक शक्ति unlock हो जाती है। इसका उपयोग करो और आगे चलो।

  3. Col. Rajeev Bharwan कहते हैं कि Task लेने के बाद आपके पास केवल 2 रास्ते हैं। पहला Do It और दूसरा रास्ता “Do It”। इसके अलावा आपके पास तीसरा कोई option नहीं है।


There is no Third Option।


कभी दिमाग में मत लाओ कि नहीं हो पाएगा। Col. Rajeev कहते हैं कि हम न भागना चाहते हैं, न मरना चाहते हैं। हम mission पूरा करना चाहते हैं और इसी जज्बे के साथ Indian Army काम करती है कि न होने का तो सवाल ही नहीं है। नहीं तो India जैसे विशाल और विविध देश में जहां मुश्किलें असीमित हैं और resources सीमित हैं, अगर Army इस जज्बे से काम नहीं करेगी तो न जाने कितने पुल कभी बन ही नहीं पाएंगे, कितने school कभी खुल ही नहीं पाएंगे।


हिम्मत,

हरकत,

होशियारी,

हम जीतेंगे !

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